
गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फ़ाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक बार फिर दुनिया को रिमाइंडर भेजा है— “AI पर आंख मूंदकर भरोसा मत करिए!”
उन्होंने कहा कि AI मॉडल्स की एक फिक्स्ड आदत है— “ग़लतियां करने की प्रवृत्ति।” यानि AI कभी-कभी वही करता है जो एक तेज़ इंटरनेट वाला छात्र एग्जाम में करता है— आत्मविश्वास से गलत जवाब।
AI + Human = सही कॉम्बो | अकेला AI = रिस्क
पिचाई ने कहा कि AI का इस्तेमाल करते समय लोगों को “अन्य स्रोतों के साथ बैलेंस बनाकर चलना चाहिए।”
यानी ChatGPT हो या Bard/Gemini— इनका भरोसा Wi-Fi की तरह है… कभी ऑन-टॉप, कभी डाउन।
और यही वजह है कि पिचाई चाहते हैं कि सूचना का इकोसिस्टम विविध और मजबूत रहे, ताकि लोग सिर्फ AI पर निर्भर न हों।
AI Investment Boom—टेक वर्ल्ड में नया ‘FOMO’
पिछले कुछ महीनों में AI कंपनियों की वैल्यू रॉकेट मोड में गई है। सिलिकॉन वैली के गलियारों में चर्चा भी तेज है— “कहीं ये पूरा AI बूम एक Tech Bubble 2.0 तो नहीं?”

पिचाई भी इससे सहमत दिखे— उन्होंने निवेशकों को एक सॉफ्ट लेकिन सीधी चेतावनी दी।
“AI Bubble फूटा तो?”—पिचाई बोले: कोई भी कंपनी पूरी तरह Safe नहीं
जब उनसे पूछा गया कि अगर AI बुलबुला फूटा तो गूगल पर क्या असर पड़ेगा— पिचाई ने सधे शब्दों में कहा, “हम सामना कर सकते हैं… लेकिन यह मत सोचिए कि हम पूरी तरह सुरक्षित हैं।”
यानि CEO भी ये मान रहे हैं कि AI का बुलबुला अगर फूटा, तो छींटे सब पर आयेंगे—गूगल पर भी।
AI की रफ्तार, टेक की चिंता—पिचाई का ‘रियलिटी चेक’ मोड
तकनीक तेज है, निवेश और तेज— लेकिन पिचाई का संदेश एकदम क्लासिक है- “AI महान है, लेकिन इंसानी दिमाग की बैकअप कॉपी बने रहना ज़रूरी है।”
